NAGPURI, JESUS, KUDUKH WRITER
प्रभु की प्रार्थना
सम्बोधन :- हे हमारे पिता, तू जो स्वर्ग में है।
पहली विनती - तेरा नाम पवित्र किया जाय।
दूसरी विनती - तेरा राज्य आए।
तीसरी विनती - तेरी इच्छा जैसे स्वर्ग में वैसे ही पृथ्वी पर भी हो।
चौथी विनती - हमारी प्रतिदिन की रोटी आज हमको दे।
पांचवी विनती - और हमारे अपराधों को क्षमा कर, जैसे हम भी अपने अपराधियों को क्षमा करते है।
छटवी विनती - और हमको परीक्षा में मत डाल।
सातवीं विनती - परन्तु बुराई से छुड़ा।
सराहन : - क्योकि राज्य और पराक्रम और महिमा सदा तेरे ही हैं। आमीन।
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